मेरे साईं - मेरे साईं, मुझको दर्श दीखाओ,
जीवन हे सुख - दुःख की नैया,पार इसे ले जाओ,
मेरे साईं-मेरे साईं, मन को तीर्थ बना दो,
जीवन तेरे अर्पण कर दों, हर अंग हर संघ तेरे रह लूँ ,
मेरे साईं-मेरे साईं, मन को तीर्थ बना दो,
जीवन तेरे अर्पण कर दों, हर अंग हर संघ तेरे रह लूँ ,
मेरे साईं - मेरे साईं, मन में मेरे बस जाओ
जीवन में संघ - साथी मेरे, कोई ना मुझको भाए,
जीवन में संघ - साथी मेरे, कोई ना मुझको भाए,
मेरे साईं - मेरे साईं, मीत मेरे बन जाओ,
मन बेरागी, मन हे चंचल, मन में ध्यान बिठाओ
मन बेरागी, मन हे चंचल, मन में ध्यान बिठाओ
मेरे साईं - मेरे साईं, ईश मेरे बन जाओ.
मेरे साईं - मेरे साईं,........................
मेरे साईं - मेरे साईं,........................
-------------------------------------------------------------
These lines are offering to my Sai from deep within my self, i sang to the tune of words and framed a poem, realizing it was all for my dear Sai. Unedited and unfurled as my writings are, it is an invocation a surge to be with my Sai in thoughts and words. Jai Saideva!!!!!!!
ReplyDelete